जी हाँ भारत की ही बात कर रहा हूँ , अब इलेक्शन आने वाले हैं तो जगह जगह येही बात तो हो रही है तो मैं क्यों न करूं। लेकिन कुछ मजेदार बात है हमारे देश की राजनीति में , सुना है की आजकल अच्छे उम्मीदवारों की बहोत बात हो रही है जगह जगह।

कौन कहता है की लोग व्यक्ति को देख के वोट करते हैं , पार्टी को देख के वोट होता है भैया। आम आदमी तो उम्मेदवार को जानता तक नहीं , पोस्टर पे किसका भी चेहरा लगा हो कोई भी नाम हो। मोहर तो ' ' पे ही लगाना।

जिस पार्टी की हवा होती है उसी पे मोहर लग जाती है , फिर टिकेट के लिए लम्बी लाइन तो होगी ही, और तरह तरह के जुगाड़।

शरीफ आदमी तो सिनेमा टिकेट नहीं ले सकता आराम से , पार्टी का टिकेट लेना तो दूर की कौड़ी रही.

४ से १२ करोड़ रुपये पार्टी फण्ड में दान करिए तब जाके कही आपकी विश्वत्ता साबित होती है , ये मोर पंख बड़े महंगे है भाई बस कृष्ण भगवान् को मुफ्त मिले थे , बाकी सबको तो बड़े पापड़ बेल के मिलते हैं।

और ये तो सिर्फ शुरुआत है , कार्यकर्ताओं को पैसा बाटो , बहन जी या भैया जी की रैली के पोस्टर्स, बैनर्स , बस और पंडाल स्पांसर करो., हलवा पूरी और चाय नाश्ता का खर्च अलग से.

अब आम महापुरुष नेक सिधान्तों वाला आदमी तो इतने पैसे ला नहीं सकता तो बचा कौन ?

जिसके पास ठेकेदारी और धान्द्ली का कला धन तो बहोत है पर पुलिस और प्रशाशन पड़ा है पीछे , सुलभ तरीका है पार्टी का टिकेट ले लो और बन जाओ नेता जी , सारा पैसा वाइट , सारे ठेके आपके आदमियों को मिल जायेंगे , पुलिस और प्रशाशन आम आदमी के टैक्स से तनख्वाह पा के आपके बच्चों को स्कूल छोड़ेगा , मेम साहब की शौपिंग गनर्स के प्रोटेक्शन में होगी।

होली दिवाली में बंगले पे मेहमानों की लम्बी कतार , और अगर थोड़े कद्दावर हो गए और स्पेशल बेशर्मी की डिग्री भी पा ली तो फिर क्या बात है। १००० के नोटों की माला सरेआम पहन लीजिये कोई नहीं पूछेगा ये पैसे आये कहाँ से , सोने के सिक्कों से अपना वजन करवाइए और हेल्थ कोन्सिउस मत ही रहिये. जितना वजन उतना सोना फ्री फ्री फ्री।

अचानक से कार्यकर्ताओं के पास फिजूल पैसा आ जायेगा और सब आपको मनी आर्डर कर के जन्म दिन की बधाई से लबरेज कर देंगे , बस गिफ्ट टैक्स भरिये और ऐश करिये. कोई नहीं सोचेगा की ये कार्यकर्ता अचानक से इतने दिलदार कैसे हो गए और आपको जानता कौन है ? कौन आप गांधी या बोस की विरासत के इकलौते पहरेदार हैं , लेकिन नहीं आपको पूरा देश से चन्दा आ जायेगा , पोस्ट ऑफिस के कर्मचारी आम आदमी के टैक्स से तन्खवाह पाते हुए आपके घर पे बोरी भर चन्दा पंहुचा देंगे। दिल्ली में मकान खरीद लीजिये आराम से, रोज ऑफिस जाना आसान हो जायेगा न।

गए वो दिन छुप छुप के रहने के, ठाठ से विदेशी कार में घूमिये , रास्ते आपकी शान में ठुल्ले पहले से खाली करवा के रखेंगे। इतनी ऐश है हमारे देश में फिर भी जिसे देखो रोता रहता है महगाई भूख और भी पता नहीं क्या क्या ड्रामा।

इसी लिए तो कहावत हैं दसों उंगलिया घी में और सर कढ़ाई में।

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