बारिश हो रही , तुम बालकनी मेँ आओगी क्या ?
तुम कहाँ हो ?
मैँ अपने छत पे हूँ
तुम भी बालकनी मेँ आ जाओ
ठीक है
देखो बारिश तेज हो गयी
शायद बूँदो में होङ लगी है तुमको देखने की
भक !!
देखो बारिश खतम हो गयी है
मैनेँ गुजारिश की थी , तुम दिख जो नहीं रहे थे बूँदो के बीच मेँ
वाह अब तुम भी
हाँ तुम्हारा असर है
एक बात पूछूँ ?
क्या ?

अगर मैँ मुस्लिम होता तब भी तुम मुझसे इतना प्रेम करती ?
नहीं !! शायद तब मैँ तुमसे इश्क करती , बेपनाह
और गर मैँ मुसलमान होती तो क्या तुम शादी करते ?
तब तो निकाह करना पङता बेगम जान
चलो मैँ चलती हुँ , पङोस बालोँ को लव जिहाद की बू आ रही हैँ
जाओ तब , उनकी आँखेँ भी गुस्से से भगवा हो रही हैँ
चलो जय श्री राम
बदमाश
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Tags: True Story, Love

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