सुकूं ये है कि क़द बड़ा है ख़ुदा का हर इंसान से
यक़ीं ये है कि दुवा अब तलक असरदारी है

एक ज़िद मेरी एक तुम्हारी है
रिश्तों में कुछ बेहोशी तारी है
अश्क़ आँख तलक जाते नहीं
हालात जज़्बातों पे भारी है
एक ज़िद मेरी एक तुम्हारी है ...
सुकूं है चैन है हर चीज़ है मगर
फिर कैसी ये बेक़रारी है..
एक ज़िद मेरी एक तुम्हारी है ..

Ranjeet soni

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