जो पाए हैं पुराने जख्म मैंने ज़माने से,
कुछ मिले हैं अपनों से तो कुछ बेगानों से |

हर जख्म संजोए हुए है याद किसी की,
किसी पराए के अपने और अपनों के बिछड़ने की,
जो पाए हैं सारे साथ मैंने ज़माने से,
कुछ बन गए अपनों से, तो कुछ बेगानों से ||

मेरा हर जख्म फलसफ़ा है, मेरे सपनो को पाने का,
मेरे ख्वाबों के बनने की और टूटकर बिखर जाने का,
जो देखें है सपने मैंने अपनी यादों के खजाने से,
कुछ हुए पूरे तो कुछ बन गए अफसानों से ||

जो पाए है साथ मैंने उन सुनसान वीरानों से,
शायद कभी न पा पाउँगा मैं इन इंसानों से ||

Tags: Poetry

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