कुछ गलतियाँ हो गयी अनजाने मे
कुछ मौसम मस्त था कुछ हम मस्त थे

शायरियों का शौकीन नही पर कया करे
कुछ मौसम मस्त था कुछ हम मस्त थे

एक शायर से शायरी का अंदाज पूछा
कहाँ से आया ऐसा खयाल पूछा

प्रेम प्रसंगों मे रूचि तो नही पर कया करे
कुछ मौसम मस्त था कुछ हम मस्त थे

एक आशिक से आशिकी का राज पूछा
कहाँ से आया इतना प्यार पूछा

एक पंडित से श्रद्धा का मान पूछा
कहाँ से आया इतना विश्वास पूछा

जाने किसे कया कया पूछा
मिलेगा कहाँ से जवाब पूछा

जवाब भी मिला तो कहाँ से
जहाँ दुनिया से भागकर जाते हैं वहाँ से

ये तो बस तरह तरह का नशा है
जैसे शराबी को बोतल का नशा है

यूँ तो नशे का शौकीन नही पर कया करे
कुछ मौसम मस्त था, कुछ हम मस्त थे

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