थोड़ा धीरे बोलो अभी देश मेरा सो रहा है

________________________
वो चिल्लाई वो रोई
लथपथ खून में की पथ पे कोई सुनेगा
न कोई रुका न किसी ने सुना
वो फिर चीखी जोर से ,पुरजोर से
रात भी रो पड़ी ,कहती काश मैं न होती
साँसों को गिनते , आखिर वो चली गयी
पूछता हूँ ये आखिर कैसा दिवस आज ये देश मना रहा है
जवाब आया
थोड़ा धीरे बोलो अभी देश मेरा ६७ सालों से सो रहा है

Tags: Tragedy

Sign In to know Author