मेरी पहली कविता.............

लिख रहा हूँ कि आगे लिख ना पाउूँ
कहने को है जो कहना बयाँ कर ना पाउँ

जिन राहों ने थामा था साथ मेरा
डरता हुँ उन रास्तों को भूल ना जाउू्ँ

यूँ तो हम बेवफा निकले,
पर आगे बढने मे कोई बुराई तो नही

यूँ तो राहें भी जाने कि लोट हम ना आयेंगे
पर जान कर अनजान बनने मे बुराई तो नही

मँजिल के नशे मे रास्ते मिट जायेंगे ,
सोचा न था
कयोँकि रास्तों ने तो कभी टोका न था

उन्हीं राहों की राह देख रहा हूँ
उनकी याद में चलो आज मैं भी लिख देता हूँ

Tags: Writing

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