लम्हा यादगार है, ऐतिहासिक भी। लोग भावुक है। हर किसी की आँखें नम, दिल भारी हो रहा है क्योंकि आज क्रिकेट का एक अध्याय खत्म हो गया। एक स्वर्णिम युग का अंत हो गया। सचिन रमेश तेंदुलकर, एक महान खिलाड़ी, एक महान इंसान फिर कभी उस खेल के मैदान में नहीं उतरेगा जिस खेल के वे पर्याय बन चुके है। अब कुछ तो है इस इंसान में जो इसे महान कहने पर मजबूर कर देता है, एक तेज़, एक स्थायित्व। जीवन में उतार चढ़ाव भी आये, कभी कभी असफल रहने पर प्रशंसकों और मीडिया के हमले भी झेले पर कैसा भी वक़्त क्यों ना रहा इस व्यक्ति ने कभी संयम नहीं खोया। भाषा और खुद का संतुलन बनाये रखा। कई बार मैच fixing का भूचाल आया, कई खिलाड़ी कलंकित हुए पर इन सब के बावजूद इनके दामन पर एक छीटा तक ना लगा। यही बातें इनके व्यक्तिव को आदर्श बनाती है। इतिहास में तो इनका नाम हमेशा के लिए दर्ज हो ही चूका है, क्रिकेट के record book में भी इनके नाम के आगे इतने record दर्ज है कि आने वाले कई सालों तक नए edition के आने कि सम्भावनाएं बेहद कम ही है। चलिए खुश रहें यही हमारी शुभकामनाएं है।

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